Monday, November 17, 2014

यही सच है .............

हाँ "देश चलाना" एक बड़ा काम है पर सच कहुँ साहब, "घर चलाना " देश चलाने से बड़ा काम होता है।ये "देश चलाने वाले" एक दिन के लिए एक आम आदमी का कभी घर चला के देँखे।साहब देश चलाने के लिए एक शातिर मंत्रीमँडल,चापलुस अफसरशाही,कामचलाऊ भ्रष्ट कर्मचारियोँ का समूह है पर घर तो आदमी को अपना खुन जला के,पसीना बहा के अकेले चलाना होता है। उनकी चिँता 5 साल की है,हमारी चिँता 5 पीढ़ियोँ की।एक दिन सँसद ना चले उन्हेँ तो आराम मिलता है,वो तब सुकून से सोते हैँ पर एक दिन घर ना चले तो हम खटिया पर पड़े बेचैन सारी रात जगते हैँ।उन्हेँ एक बेबस देश चलाना है, पर हमेँ तो उम्मीदोँ से भरा,खुशियोँ की आशा से बँधा संघर्ष करता एक घर चलाना है।वो मुश्किल मेँ होँगे तो चलो सरकार गिर जायेगी,पर जब एक घर चलाने वाला मुश्किल मेँ होता है तो छत से सीमेँट गिर जाती है,रसोईघर की दीवार गिर जाती है,सर के बाल गिर जाते हैँ। वो सरकार चलाने मेँ हार गये तो विपक्ष मेँ बैठ जायेँगे पर जब कोई घर चलाने मेँ हार जाये तो परिवार सहित फंदे तक पर झुल जाता है। सोचिए एक घर चलाने वाला आदमी जब दिन भर की मरनी खटनी के बाद शाम को बैग लटकाये और उससे भी ज्यादा अपना थोथना (चेहरा) लटकाये अपने घर पहुँचता है,दरवाजा खुलते ही उस पर एक साथ चारोँ तरफ से उम्मीद भरे माँग की बारिश किसी बम की तरह होती है । "पापा मेरा चिप्स?" बँटी घुसते शर्ट का कोना खीँच के बोलता है। "पापा मेरा स्कुल बैग फट गया है" बेटी बोली"।अचानक किचन से पत्नी की आवाज "जी बैँक का लोन वाला नोटिस आया है,ऊहाँ ताखा पर रखे हैँ,देख लिजिएगा थोड़ा,आज मनैजर कह के गया कि जल्दी चुकाने बोलिये नय तो केस करना होगा"घर घुसते पानी पीने से पहले पसीना निकला।तब तक बाबुजी बोले"अरे पीछे वाले परछत्ती वाला देवाल गिर गया है,कबो दु चार पैसा बचा के ईँटा गँथवा दो,अपना भर तो हम सब करबे किये,एक ठो गिरा दिवाल नहीँ बन पा रहा,रोज पिछवाड़ी से कुकुर घुस के आँगन आ जाता है,सोचो तनि करो कुछ"। इतने मेँ बुढ़ी अम्मा पर नजर, दम्मा और गाँठिया की मरीज है,मुँह से कुछ नहीँ बोली बस एक कराह और उसी से सब समझना है"हे भोलेनाथ बस अब उठा ल"। जी हाँ साहब ये है अभी अभी घर घुस कोने मेँ अपना बैग रखे एक घर चलाने वाले आदमी की दुनिया:-|अभी कपड़ा तक नही बदला है बेचारा।जान लिजिए हमारा काम आपसे बहुत बड़ा है वर्ना बतकही और लंबी लंबी छोड़ना तो हम आपसे कहीँ ज्यादा कर सकते थे।हमारे जीभ की लंबाई आपसे मीटर भर ज्यादा ही निकलेगी पर का किजिएगा आपको देश चलाना है इसलिए खुब बोलिये,बकैती करिये,यश बटोरिये।हमारा काम आपसे बड़ा है,हमारा काम बोलने से नहीँ न चलने वाला,बकैती और डकैती हम करते नहीँ,हमेँ तो कमाना है न! हम घर चलाने वाले लोग हैँ साहब।।जय हो

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