Sunday, February 7, 2016

मेगा दानवीर अमिताभ बच्चन

महानायक "अमिताभ बच्चन" मेरे सबसे पसंदीदा अभिनेता हैँ,मतलब ये मुझे इतने प्रिय हैँ कि अपने बाद सबसे बड़ा हीरो मैँ इन्हीँ को मानता हुँ:-)।फिलहाल ये रसोई गैस सब्सिडी छोड़ने को लेकर श्रद्धा के ताजा उदाहरण बन छाये हुए हैँ।संयोग से मैँ दो दिन पहले इनके घर पर ही था जब इनके यहाँ परिवार मेँ आपस मेँ सब्सिडी को लेकर मंथन चल रहा था।उस पुरे मार्मिक क्षण को जो मैँने अपनी आँखोँ से देखा,आपको बताता हुँ।उस दिन बच्चन साब दोपहर ही घर लौट आये थे।आते ड्राईँग रूम मेँ ही बैठ गये और सेवक चंदु को आवाज दे एक लोटा ठंडा पानी मँगवाया।हथेली को गाल पर टिकाये सोफे पर बैठे बच्चन साब उस समय किसी गहरे सोच मेँ डुबे लग रहे थे।तब तक जया जी पानी लिये कमरे मेँ आई।बच्चन साब देखते बोले"अरे आप क्युँ लेते आईँ,उफ्फ चंदु कहाँ है?"।"वो अभिषेक के साथ खेल रहा है,अभिषेक अकेला बैठे बैठे बोर हो जाता है,मैँने चंदु को कह रखा है कि तू छोटे साब के साथ ही खेला कुदा कर,उनका मन लगा रहेगा"-जया जी ने पानी ग्लास मेँ डालते हुए कहा।बच्चन साब कुछ नहीँ बोले,पानी पी एक लंबी साँस ली और सर उठा आँखोँ को बँद कर सोफे पर पीछे की ओर अटक गये।"आप परेशान नजर आ रहे हैँ,क्या बात है?कुछ बताईये न"-जया जी ने सोफे पर खड़े होके बच्चन जी के सर पर हाथ रखते हुए पूछा।बच्चन साब ने उन्हेँ बगल मेँ बिठाते हुए कहा"अरे कुछ नहीँ,चिँता की कोई बात नहीँ।बस एक निर्णय लेना चाह रहा था,आपलोगोँ से सलाह लेना चाहता हुँ"।"क्या?"जय जी ने पूछा।"सोच रहा हुँ घर का रसोई गैस सब्सिडी छोड़ दुँ"-बच्चन साब ने जया जी के आँखोँ मेँ देखते हुए।"क्यायाया?पागल हो गये हैँ आप?"-जया जी चीखते हुए उठीँ और उनके हाथ से लग के पानी का लोटा टेबुल से लुढ़क कालिन पर गिर गया।"अरे आप सुनिये भी तो,क्या दिक्कत है,हम बाजार मूल्य पर खरीद लेँगे,बाबूजी के आशीर्वाद से इतना तो कमा ही लेता हुँ,आप भी ठीक ठाक सासंद हैँ,दिक्कत हुई तो खाना संसद कैँटिन से मँगा लिया करेँगे।"-बच्चन साब ने उठ कर जया जी की बाँह पर धीमे से हाथ रखते हुए कहा।पर जया जी का पारा गरम था,उन्होँने झल्ला कर कहा-"आप बैठ कर यही सब अनाप शनाप सोचते रहिये,मुलायम अमर की संगत तो छुट गई पर आपका समाजवाद नही उतरा है अभी"।बच्चन साब ने उन्हेँ साथ सोफे पर वापस बिठाते हुए समझाते हुए कहा-"आप समझने की कोशिश करिये,आखिर क्या हमेँ बस खुद के लिए ही सोचना चाहिए?कुछ देश के गरीबोँ की भी तो सोचिए।देखिये देश की स्वच्छता के लिए मोदी जी तक ने झाड़ु उठाया,अंबानी ने हरे पत्ते चुने और हम 300-400 रूपये नहीँ दे सकते क्या?आप सोचिए इस बड़ी रकम से लाखोँ बुझे चुल्हे वाले घर मेँ चुल्हा जल उठेगा।"।जया जी थोड़ी नरम होते हुए बोलीँ"देखिए जी आप बस देश देश सोचते हैँ।मैँ एक माँ हुँ,मेरा भी तो दिल है,मेरे लिए पहले अपना बेटा है फिर कुछ आता है।आप सोचो बेचारा प्यारू अभिषेक का क्या होगा?ना कोई फिल्म मिलती है।मिलती भी है तो चलना छोड़ो हिलती भी नहीँ है।उपर से बहु का खर्चा।एक बार कान महोत्सव घुमने जाती है तो एक पासबुक खर्च कर जाती है,गाउन,लिपिस्टिक और अभिषेक की टिकट खाना पीना और पोती के कपड़े लते की शॉपिँग का खर्च।कैसे चलेगा ये सब।कम से कम सब्सिडी का गैसा रहेगा घर मेँ तो बुरे वक्त मेँ खिचड़ी तो पका के खा पायेगा हमारा बेटा"।बच्चन साब ये सुन खड़े हो गये बेचैनी मेँ कमरे मेँ टहलने लगे।टहलते हुए वो दिवार पर टँगी "हरिवंश राय बच्चन साब" की तस्वीर के सामने खड़े हो गये।एकटक तस्वीर को देखे जा रहे थे मानो कह रहेँ होँ कि,बाबुजी अब आपही कुछ रास्ता दिखाईए।5 मिनट बाद अमिताभ वापस सोफे पर आ बैठे और बोले-"देखिये आप बात ठीक कह रही हैँ।पर ये भी तो देखिये कि अब बहु भी फिर से कमाने लगी है,इनकी फिल्म जज्बा आ रही है।कल इरफान भी बता रहे थे कि फिल्म हिट जानी चाहिए।सो एक बार प्लीज आप सोच के देखिए,हमने कई लोगोँ से कह भी दिया है कि मैँ सब्सिडी छोड़ रहा हुँ।सम्मान फँसा हुआ है और बाबूजी कहते थे कि बिना सम्मान भला कैसा जीवन"।पर जया जी कहाँ समझने वाली,फिर गरजी-"ये बाबुजी आपको कुछ घर द्वार के बारे मेँ समझा के नहीँ गए न?देख लिजिए जी जाईये ठीक है छोड़ दीजिए सब्सिडी पर एक शर्त है।सब्सिडी केवल आपके कार्ड पर छुटेगा।मेरा,बहु और अभिषेक के कनेक्शन पर नहीँ।और दुसरी कि ये लास्ट बात मानी तुम्हारी।अब आगे अभिषेक वाली मनरेगा कार्ड छोड़ने और ऐश्वर्या को किशोरी कौशल योजना का लाभ लेने भी छोड़ने मत कह देना"।"मंजुर देवी जी मंजुर,चलो नहीँ कहुँगा ये सब"-बच्चन साब ने सुकुन से हँसते हुए कहा।इतना कहते ऐश्वर्या आ जाती हैँ।"ओ पापा यु आर ग्रेट,आज शुटिँग पे पता चला कि आप गैस सब्सिडी छोड़ रहे हैँ,पूरे बॉलीवुड को आप पे प्राउड है पापा,सब आपको ग्रेट कह रहे थे"-आते ही ऐश ने गले लगाते हुए कहा।"हा हा ओ थैँक्स बेटा,चलो अब जरा मीडिया को फोन लगाये और बता देँ"-कह कर बच्चन साब ने दैनिक जागरण के संजय गुप्त को फोन लगाया।खबर सुनते ही गुप्त जी की आवाज आयी"क्या कह रहे हैँ सर!इतना बड़ा फैसला।सर आप पहले इतने दानी अरबपती हैँ।सर आप महान हैँ।मोदी जी प्रेरणा का असर है ये।काश देश के सभी अरबपति आपकी तरह रसोई पर सब्सिडी छोड़ देँ तो आज हमारा देश फिर सोने की चिड़िया बन जाय।मैँ छापता हुँ तुरंत ये खबर।बड़ी खबर है।त्याग की नई मिसाल।"। इतना सुन बच्चन साब गर्व से फुले फोन काट ऐश और जया से लिपट गये।तब तक अभिषेक भी आ गये और बच्चन साब की पीठ पर चढ़ गये मारे खुशी के।पुरा परिवार भावुक था।ये भावुक सीन देख मुझसे रहा ना गया।मैँ भी आँसु लिये जा के उन सब से लिपट गया।मुझे देखते बच्चन साब ने हड़बड़ा कर चौँके और लात मार गिरा दिया।"कौन हो तुम,यहाँ कैसे आ गये"बच्चन बोले। मैँ इतना ही बोल पाया"साब जिस घर मेँ सब्सिडी,मनरेगा और किशोरी कौशल योजना आ सकती है,उस घर मेँ मुझ गरीब को देख अचरज कैसा"।सुनते ही जया जी चिल्लाई-"गार्ड बुलाओ,पीटो और बाहर फेँको इसे,इसकी जेब देखो इसने अभिषेक का मनरेगा वाला जॉब कार्ड तो नहीँ चुराया"। गार्ड दौड़े आये और मैँ सड़क पर पड़ा हुँ अभी।जय हो

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