Saturday, February 27, 2016

"महिषासुर शहादत दिवस"

महिषासुर की मौत को स्वीकार कर "महिषासुर शहादत दिवस" मनाने से एक अर्थ तो साफ है कि देवी दुर्गा के अस्तित्व को तो सब स्वीकार करते हैँ और ये भी कि जेँटल महिषा कुमार जी का मर्डर हुआ है।ऐसी हालत मेँ महिषा खेमे के लोगोँ को राजनीति और आंदोलन से ज्यादा स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है क्योँकि जो दुर्गा महिषा जैसे परम जेँटलमैन और शक्तिशाली योद्धा का वध कर सकती है वो आज के पेँसिल जैसी काया लिए सिगरेट फूँक फूँक नारा लगा के हाँफते और थक के बर्गर खाते क्रांतिकारियोँ का कितना लोड लेगी और कब त्रिशुल घोँप देगी कोई भरोसा नहीँ।सो आईए "राईट टू एक्सप्रेशन" की जगह"राईट टू हेल्थ" पर काम करेँ।और हाँ ये पल्सर बेच के भैँसा चढ़िये..दुर्गा समर्थकोँ के बीच आपका भोकाल टाईट होगा और माहौल तो बनेगा थोड़ा क्योँकि ये दुर्गा की तरह शेर थोड़े चढ़ते हैँ:-)।जय हो।

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