Wednesday, September 14, 2016

राधा ने मारी मिस कॉल,कन्हैया बोले हैलो हैलो"

राधा ने मारी मिस कॉल,कन्हैया बोले हैलो हैलो

बगल के मंदिर मेँ रात कुछ महिलाएँ भजन गा रही थीँ"राधा ने मारी मिस कॉल,कन्हैया बोले हैलो हैलो"।सुना तो कान नहीँ,बदन का रोआं रोआं खड़ा हो गया।ये भजन था..।जी हाँ ये आज के जमाने का भजन है,ये श्रद्धा का 4G संस्करण है।ये भक्ति की ऐनरॉयड पीढ़ी है।विद्यापति के कृष्ण जीयो के कॉल ड्राप तक आ गये।सूरदास के कृष्ण दोहे से निकल मेरे कान्हा डिस्को डांसर के भजनफूल सांग तक पहुँच चुके हैँ।दुनिया कहते नहीँ थकती कि भगवान दुनिया चलाता है,वो ही विधी नियंता है।पर भगवान ने दुनिया कहाँ बदली,बदला तो हमने है भगवान को।जब चाहा उसकी सूरत बदल दी,जब चाहा उसकी सीरत बदल दी।शिव हड़प्पा मेँ योगी थे,चोलोँ ने नर्तक नटराज बना दिया, हमने गंजेड़ी और सीरियल वालोँ ने बॉडी बिल्डर हीरो टाईप,एकदम देवताओँ मेँ नाना पाटेकर जैसी झक्की छवि गढ़ दी।हमने कान्हा को माखन खिलाते खिलाते इस्कॉन के मंदिर मेँ जन्माष्टमी मेँ केक खिला दिया।गणेश चूहे से उतर बाईक पर स्थापित होने लगे।सरस्वती माता से वीणा ले गिटार दे दिया हमने।राम तिरपाल मेँ रह ले रहे हैँ,ये जानते हुए भी कि देश मेँ उनकी ही बनाई सरकार है।पर ईश्वर सब एडजस्ट कर रहे हैँ,करना पड़ता है वर्ना किसी ने सही कहा था"हर सांस ये कहती है हम हैँ तो खुदा भी है" सो जब हम ही नही तो भगवान कैसा।इसलिए तो हमने बड़े निर्भिक हो जब चाहा,जैसा किया पर ईश्वर ने हमसे कोई शिकायत ना की ना हमेँ हड़काया।ईश्वर के सर्वश्रेष्ठ होने के किस्से बाँचता मानव हर पल अपने सर्वश्रेष्ठ होने का प्रमाण देता रहा है।बताईये ऐसे मेँ जब यही मानव जो रोज अपने भगवान और अपनी भक्ति को अपडेट करता जा रहा है ऐसे मेँ कोई जब हजार बरस पहले की किताब"मनु स्मृति" पर रगड़बाजी करता है तो कितना दोगला लगने लगता है न।बताइये क्या हर चीज को अपने हिसाब से बदल देने वाला ये इंसान,संभव है कि हजार बरस पहले की किताब के अनुसार अपने सोच को नियंत्रित होने देगा?जाहिर है ऐसा असभंव है।घर मेँ रामायण रखी है,हमने उसे नही उतारा जीवन मेँ,कुरान नही उतर पाता जीवन मेँ पर क्या ये मनुस्मृति ही एकमात्र ऐसी जादुई किताब है क्या जो आज तक समाज और दुनिया को अपने पन्ने के हिसाब से चलाने को अड़ी रहती है,इसलिए आईए इसे जलायेँ..इसे मिटा देँ जिसे आज तक किसी सामान्य घर मेँ पाया तक भी न गया है।कहने का मतलब बस इतना है कि,अब आप और हम किसी लिखी जड़ किताब कॉपी से नही चलते..मानव ने हर युग मेँ अपनी खोज स्वयं की है।महिलाएँ हाजी अली की दरगाह पर पहुँच चुकीँ हैँ,किसी किताब के आयतो से अब उनके पाँव नही रूकने।ये दुनिया लिखि और थोपी जादुई किताबोँ से आगे निकल आई है।पर कुछ जमात ऐसी है जो कुरान और स्मृतियोँ के नाम पर अपने हितो का तांडव करती है और इतिहास की भोँथरी तलवार से वर्तमान और भविष्य की गर्दन रेतने का प्रयास करती रहती है।आदमी ईश्वर का स्वरूप बदल दे रहा है,गणेश लड्डु छोड़ पीज्जा खाने लगे,आदमी ने अराधना के अंदाज बदल दिये,अब जंगलोँ मेँ तपस्या की जगह कॉलनियोँ मेँ जगराता विथ शाही पनीर ने ले लिया है।लोग झुम झुम मंत्रमिक्ससांग्स गाते हैँ और प्रसाद मेँ बड़ी श्रद्धा से नान कुलचे छोले खाते हैँ।सब कुछ बदला पर जब नौबत खुद मेँ बदलाव की आती तो आदमी ने खुद को बदलने से इनकार कर दिया है।आदमी ने मना कर दिया है अपने दोगलेपन की परत को काट कर गिरा देने से।बताइये मैट्रो बनने के रास्ते मंदिर मस्जिद आता है तो आदमी उसे तोड़ सकता है,पर 21वीँ सदी के निर्माण के रास्ते बाधा बनके आते अपनी "पुरानी सोच" का ढर्रा तोड़ने मेँ आनाकानी करता है।तुरंत कुरान की आयत और वेद की ऋचाओँ को तलवार की तरह निकाल खड़ा हो जायेगा।जैसे पुराने ढहे मंदिर गिरा दिये जाते हैँ,मस्जिद गिरा दिये जाते हैँ वैसे ही पुरानी ढहती परँपरा को गिराता।पर गायेगा ये भजन का हिप हॉप और स्मृति,पुराण,कुरान तो इसने अपने इस्तेमाल के लिए रखेगा।बड़े जतन से रखता है बचा के इन पुरानी चीजोँ को पुराने ही रूप मेँ ये नये समय का आदमी।जय हो।

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